500 Note Ban News: देश में पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ा है। अब लोग पहले से ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन इसी के बीच एक बड़ा सवाल लोगों के बीच चर्चा में है — क्या ₹500 के नोट पर भी अब रोक लगने वाली है? क्या सरकार जल्द ही बड़े नोटों को बंद कर सकती है? हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इसको लेकर कई अहम बातें सामने आई हैं। आइए जानते हैं पूरी खबर।
₹500 का नोट सबसे ज्यादा चलन में
RBI की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल ₹500 का नोट देश में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला नोट बन गया है। अगर हम कुल मुद्रा मूल्य के आधार पर देखें तो ₹500 के नोटों की हिस्सेदारी करीब 86% तक पहुंच गई है। वहीं, मात्रा के लिहाज से इस नोट का हिस्सा 40.9% है। इसका मतलब यह है कि बाजार में जितने नोट चल रहे हैं, उनमें ₹500 के नोट सबसे ज्यादा नजर आ रहे हैं। इसके बाद अगर बात करें छोटे नोटों की तो ₹10, ₹20 और ₹50 के नोटों की संयुक्त हिस्सेदारी 31.7% है। खास बात यह है कि दैनिक खरीदारी जैसे सब्जी, दूध, किराने का सामान खरीदने में छोटे नोटों की अहम भूमिका बनी हुई है।
नोट छपाई पर बढ़ा खर्च
रिपोर्ट में एक और रोचक जानकारी दी गई है। इस बार नोटों की छपाई का खर्च भी करीब 25% बढ़ गया है। बीते साल यह खर्च ₹5101.4 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹6372.8 करोड़ हो गया है। इसका मुख्य कारण कागज, स्याही और सिक्योरिटी फीचर्स की लागत में इजाफा बताया गया है।
ये भी पढ़े:- आधार कार्ड से जुड़े 5 बड़े अपडेट, स्कूल, सरकारी नौकरी और फ्री इलाज तक
₹2000 के नोट अब लगभग बाहर हो चुके हैं
साल 2023 में सरकार ने ₹2000 के नोट को चलन से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की थी। अब तक 98.2% ₹2000 के नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट चुके हैं। इसका मतलब है कि बड़े नोटों की संख्या में पहले ही कमी आ चुकी है और देश की मुद्रा प्रणाली अब धीरे-धीरे छोटे और मिड वैल्यू के नोटों की ओर शिफ्ट हो रही है।
डिजिटल पेमेंट का नया रिकॉर्ड
वहीं दूसरी ओर, डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भी भारत ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। मई 2025 में UPI (यूपीआई) के जरिए रिकॉर्ड ₹1868 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू ₹25.8 लाख करोड़ रही। यह अप्रैल 2025 के मुकाबले अधिक है, जब ₹1789 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे और कुल वैल्यू ₹23.9 लाख करोड़ थी। इससे यह साफ होता है कि आज के दौर में यूपीआई जैसे डिजिटल माध्यम आम जनता के रोजमर्रा के लेन-देन में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि नकद लेन-देन (कैश ट्रांजैक्शन) पूरी तरह खत्म हो गया है।
कैश का चलन क्यों बना हुआ है?
RBI की रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2025 के अंत तक देश में कुल ₹36.86 लाख करोड़ की करेंसी सर्कुलेशन में थी, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है। यानी लोग डिजिटल के साथ-साथ नकद लेनदेन को भी बराबरी से इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविड महामारी के दौरान लोगों ने कैश को सुरक्षित माध्यम माना और उस आदत का असर अब भी देखने को मिल रहा है। आरबीआई की एक स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि लोग अनिश्चित समय के लिए कैश जमा करके रखना पसंद कर रहे हैं।
इसके अलावा, RBI की स्टडी में यह भी पाया गया है कि जिन इलाकों में आर्थिक गतिविधियां ज्यादा होती हैं (जैसे बड़े शहर या इंडस्ट्रियल एरिया), वहां कैश का इस्तेमाल कम है। इसके लिए स्टडी में सेटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। जिन इलाकों में ज्यादा रोशनी (economic activity) है, वहां जीडीपी और टैक्स कलेक्शन ज्यादा है और कैश का इस्तेमाल कम। वहीं ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर इलाकों में अभी भी कैश की निर्भरता अधिक बनी हुई है।
नए एटीएम नियम क्या कहते हैं?
आरबीआई ने अप्रैल में एक नया नियम भी जारी किया है। इसके तहत बैंकों को निर्देश दिया गया है कि 30 सितंबर 2025 तक देश के कम से कम 75% एटीएम में ₹100 और ₹200 के नोट उपलब्ध होने चाहिए। मार्च 2026 तक यह आंकड़ा बढ़ाकर 90% करने का लक्ष्य है। इसका मकसद यही है कि छोटे नोटों का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो और लेनदेन में सहूलियत मिले।
क्या ₹500 का नोट बंद होगा?
अब सवाल यह है कि क्या ₹500 का नोट बंद होने जा रहा है? फिलहाल RBI की रिपोर्ट में ऐसा कोई सीधा संकेत नहीं दिया गया है कि ₹500 के नोट को बंद किया जाएगा। रिपोर्ट के आंकड़े तो यह बताते हैं कि ₹500 का नोट इस वक्त सबसे ज्यादा चलन में है। हालांकि सरकार और आरबीआई का ध्यान धीरे-धीरे डिजिटल पेमेंट और छोटे नोटों के प्रयोग को बढ़ाने पर जरूर है।
अगर भविष्य में डिजिटल पेमेंट का दायरा और बढ़ता है, तो बड़े नोटों की निर्भरता अपने आप कम हो सकती है। लेकिन फिलहाल ₹500 के नोट को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इसलिए आम जनता को इस बारे में घबराने की जरूरत नहीं है।
₹500 के नोट को लेकर फिलहाल कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन सरकार की मंशा यही है कि आने वाले समय में लेनदेन को ज्यादा से ज्यादा डिजिटल किया जाए ताकि पारदर्शिता बढ़े और नकली नोट जैसी समस्याएं कम हों। ऐसे में आने वाले वर्षों में कैश का चलन घटेगा या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।